क्या आप जानते हैं पहाड़ों पर क्यों बनाए गए हैं अधिकांश देवियों के मंदिर,जाने इसके पीछे की असली वजह

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जैसा की हम सभी जानते है की नवरात्रि का पावन पर्व नवरात्रि कल यानि की 10 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है और नवरात्र में लोग मां दुर्गा कि पूजा अर्चना करते हैं| नवरात्र के समय में देवी मंदिरों में भक्तों का जमघट लगता है. लोग बड़ी संख्या में पूजा अर्चना के लिए देवी के मंदिरों में जाते हैं| देवी मां के ऐसे बहुत से मंदिर हैं जो पहाड़ों पर स्थित हैं जिसमे सबसे पहला नाम कश्मीर की वैष्णो देवी फिर हिमाचल की ज्वाला देवी, नयना देवी, मध्य प्रदेश की मैहरवाली मां शारदा, छत्तीसगढ़ डोँगरगढ़ की बम्लेश्वरी मां,पावागढ़ वाली माता का नाम प्रमुखता से लिया जाता है और देवी मां के अलावा बहुत सारे देवाताओं के भी मंदिर पहाड़ों पर बने हुए हैं मिसाल के तौर पर बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे मंदिर हैं| आपने अनेक बड़े और सिद्ध मंदिरों के दर्शन किये होंगे उनमें से अधिकांश की यात्रा दुर्गम ही रही होगी भले ही आज के दौर में दिन ब दिन इन यात्राओं को सुगम बनाया जा रहा है।

गौरतलब है कि आपने कई प्रमुख तीर्थस्थलों के दर्शन किए होंगे और शायद कभी सोचा भी होगा कि पहाड़ों पर ही मंदिर क्यों बनाए जाते हैं। वहां की धार्मिक मान्यता ज्यादा क्यों है? उन जगहों पर ऐसी क्या शक्ति है कि लोग खिंचे चले आते हैं। तो आइये जानते है की ज्यादातर देवी देवताओं के मन्दिर को पहाड़ों पर बनाने के पीछे बड़ी वजह क्या है

प्राकृतिक सौन्दर्य

पहाड़ी क्षेत्रों पर इंसानों का आना-जाना कम ही रहता है, जिससे वहां का प्राकृतिक सौन्दर्य अपने असली रुप में जीवित रह पाता है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि सौन्दर्य इंसान को स्फूर्ति और ताजगी प्रदान करता है।

वैज्ञानिक रहस्य

पहाड़ों पर मंदिर बनाने के पीछे की प्राचीन मान्यताओं का विज्ञान भी समर्थन देता है| ऐसा माना जाता है कि पहाड़ी पिरामिड की तरह होती है और पिरामिड में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है|जब भक्त वहां पहुंचते हैं तो उन्हें भी सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है पहाड़ों पर दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को उस सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव महसूस होता है और उनका मन अध्यात्म में लगता है। इसके अलावा साधना के लिए मन एकाग्र होना चाहिए। लिहाजा, पहाड़ी जगहों पर मंदिरों के निर्माण की यह भी एक वजह है।

धार्मिक रहस्य

पहाड़ों पर देवी देवताओं का धार्मिक स्थल होने के पीछे पौराणिक मान्यता भी है जैसे की  पहाड़ों पर दैवीय स्थल होने की वजह यह है कि देवी राजा हिमाचल की पुत्री हैं। इन्ही के नाम पर अब हिमाचल प्रदेश है। इस स्थान को देवभूमि भी कहा जाता है। देवी का जन्म यहीं हुआ इसी कारण से इन्हें पहाड़ों वाली माता कहा जाता है। देखा जाए तो देवी राक्षसों के नाश के लिए अवतरित हुईं थीं। राक्षस मैदानी इलाके से आते थे और देवी पहाड़ों से उनको देख उनका वध कर देती थीं। इसलिए भी देव स्थान ऊंचे पहाड़ों पर हैं।

ऊंचाई का प्रभाव-

ज्यादातर देवी देवताओं के धार्मिक स्थल पहाड़ों पर बनाने के पीछे  वैज्ञानिक विश्लेषणों में पाया गया है कि निचले स्थानों की बजाय अधिक ऊंचाई पर इंसान का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। लगातार ऊंचे स्थान पर रहने से जमीन पर होने वाली बीमारियां खत्म हो जाती हैं। ऐसे में पहाड़ी स्थानों पर इंसान की धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं का विकास जल्दी होता है।