पैसे न होने पर भी अस्‍पताल को करना होगा मरीज का इलाज, हर व्‍यक्ति को पता होने चाहिए ये अधिकार

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ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे भारत देश में सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए हैं वहीं ये भी पता होगा कि इस देश का संविधान भी हर नागरिक को जीने का अधिकार देता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि व्‍यक्ति को जीने के लिए अच्छे स्वास्थ्य का होना बेहद जरूरी है। इसके लिए इंसान हर कोशिश करता है कि वो और उसका परिवार हमेशा स्‍वस्‍थ रहे। लेकिन हर किसी के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाता और न चाहकर भी उनको या फिर उनके परिवार के किसी सदस्‍य को बिमारियों का सामना करना पड़ता है ।

ये बात भी सच है कि आज के समय में अगर कोई व्‍यक्ति किसी भी बीमारी के गिरफ्त में आता है तो उसके परिवार वाले अस्पताल का चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से पूरे परिवार को कई तरह की समस्‍याओं का सामना करना पडता है जिसमें से सबसे ज्‍यादा गंभीर समस्‍या तो धन की होती है क्‍योंकि आजकल अस्‍पताल व दवाइयों के खर्चे काफी महंगे हो गए है। ऐसी स्थिति में उन्हें कई बार अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये इसलिए होता है क्‍योंकि आधे से ज्‍यादा लोगों को अस्पताल में मिलने वाले अधिकारों के बारे में कम जानकारी होती है तो आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि अस्पताल में इलाज कराने वालों के लिए संविधान में क्या-क्या अधिकार दिए गए हैं।

1-इमरजेंसी में इलाज से मना नहीं कर सकता अस्पताल : जी हां ध्‍यान रहे कि अगर आपको कोई इमरजेंसी आ गई है और आपके पास उस समय पैसे नहीं हैं तो अस्‍पताल चाहे कोई भी हो प्राइवेट हो या सरकारी तत्काल इलाज देने से मना नहीं कर सकता। जी हां आप जान लें कि इमरजेंसी में पेशेंट से प्रारंभिक इलाज के लिए अस्पताल पैसे तुरंत नहीं मांग सकता। क्‍योंकि अगर वो ऐसा करता है तो पेशेंट इसकी शिकायत वह कंज्यूमर कोर्ट में कर सकता है।

2- खर्च की जानकारी : इसके बाद तो आपको बता दें कि मरीज को एक अधिकार मिलता है कि डॉक्‍टर इलाज से जुड़ी सभी जानकारी मरीज को दे। इतना ही नहीं इसके साथ ही अस्‍पताल में इलाज करवाने में कितना खर्च आएगा इसकी जानकारी पाने का भी उसे हक है।

3-मेडिकल रिपोर्ट्स लेने का अधिकार : जी हां इन बातों के अलावा किसी भी मरीज या उसके परिवार वालों को ये भी अधिकार मिलता है कि वो अस्पताल से मरीज की बीमारी से जुड़े दस्तावेज की मांग कर सकते हैं।

4-सर्जरी से पहले डॉक्टर को लेनी होगी मंजूरी : वहीं आपको ये भी बता दें कि मरीज को ये भी अधिकार होता हे कि उसके शरीर में किसी भी तरह की सर्जरी करने से पहले डॉक्‍टर को उसकी मंजूरी लेना अनिवार्य होता है।

5-अस्पताल नहीं बताएगा कि दवा कहां से लेनी है : इतना ही नहीं आपको बता दें कि कई बार ऐसा सुनने में आता है कि मरीज या फिर उसके परिवार वालों को अस्‍पताल उन्हें दवा की पर्ची देते वक्त कहता है कि दवा अस्पताल के दुकान से ही लें लेकिन आपको बता दें कि मरीज को पूरा हक है कि वो दवा अपनी मर्जी के दुकान से ही खरीदे।

6- अस्पताल में जबरदस्ती मरीज को नहीं रखा जा सकता: दरअसल आपने कई बार सुना होगा कि बिल न चुकाने की वजह से अस्‍पताल वाले कई बार मरीज को डिसचार्ज नहीं करते है इतना ही नहीं कई बार तो लाश तक नहीं ले जाने दिया जाता है। लेकिन जानकारी के लिए बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे गैर कानूनी करार दिया है।